शांत तन, शांत मन,
शांत है कण कण !
शोर, लापता सा,
घोर सन्नाटा, बसा !
सो रहा, जन जन,
शांत तन, शांत मन…
रात के अँधेरे में,
चाँद के उस डेरे में,
तारों का है, आवरण !
शांत तन, शांत मन…
आवाज़ है मूक सी,
हो रही स्थिर, हँसी,
हवाएं बह रही, सन- सन !
शांत तन, शांत मन…
वृक्ष दूर, दिख रहे,
शाखाओं से कुछ, लिख रहे,
पत्तों की, खन- खन !
शांत तन, शांत मन…