मेरी प्यारी नींद

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मुझको नींद भाती है,
जब देखो आ जातो है !
सुबह सुबह जब, छोड़ूँ इसको,
आँख भी करने लगती डिस्को !

नाश्ता करने बैठूं जब,
ये आ जाती, न जाने कब !
फिर जब पड़ती माँ की डाँट,
गुल हो जाती अपने, आप !

मौका पाकर, अक्सर ये,
पढ़ते वक़्त भी आती है,
फिर एक पन्नें को ये,
कितने बार पढ़ाती है !

है कितनी फुर्तीली ये,
जबकि, कुछ भी ना ये खाती है,
ना शर्माती बिलकुल भी,
नींद तो मेरी साथी है !

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